कोश निर्माण की प्रक्रिया का विवेचन कीजिए
कोष के अध्ययन के विज्ञान को कोष विज्ञान कहते हैं जो भाषा विज्ञान का एक अनुपयुक्त क्षेत्र है कोष विज्ञान के व्यावहारिक पक्ष को कुछ निर्माण प्रक्रिया कहा गया है दोनों ग्रीक भाषण से निर्मित है जिसका अर्थ होता है शब्द तथा लगी जो की लोगस से बना है जिसका अर्थ है विज्ञान अर्थात शब्द विज्ञान में संदेह यह कहा जा सकता है की कोष विज्ञान भाषा विज्ञान के रूप विज्ञान प्रारंभ होकर कोष निर्माण प्रक्रिया तक का सफर तय कर चुका है तथा कोष निर्माण कार्य में लगा हुआ है कोष का अर्थ होता है शब्दों के विभिन्न अर्थो रूपों व उनके शुद्ध प्रयोग करने का एक पुख्ता आधार ग्रंथ कभी-कभी अर्थो की सजीवता बनाए रखने के लिए चित्रों आदि का भी प्रयोग किया जाता है।
कोष को विभिन्न विद्वानों ने तरह-तरह के से परिभाषित भी किया है जिसमें ऑक्सफोर्ड एडवांस्ड लर्नर्स डिक्शनरी के अनुसार ए बुक था गिव्स ए लिस्ट ऑफ़ द वर्ड्स ऑफ़ ए लैंग्वेज इन अल्फाबेटिकल ऑर्डर एंड एक्सप्लेन व्हाट थे मैं सीसी वर्ग की एक प्रसिद्ध परिभाषा इस प्रकार से है कॉस्ट उन सामाजिक कृत भाषा रूपों की व्यवस्थित रूप से क्रमबद्ध सूची है जो भाषा वैज्ञानिक पद्धति का अनुसरण करते हुए किसी भाषा समुदाय के वजह व्यवहार से संग्रहित किए गए हो तथा जिनकी कोशिकर द्वारा इस प्रकार व्याख्या की गई हो कि योग्य पाठक प्रत्येक भाषा रूप का स्वतंत्र अर्थ समझ सके तथा उसे भाषा रूप के सामुदायिक प्रकार्य संबंधी समस्त तथ्यों से अवगत हो सके वर्ग की यह परिभाषा अधिक तर्कपूर्ण लगती है कोष को परिभाषाओं की तरह ही कई नाम भी दिए गए हैं जैसे हिंदी में निबंध निरुक्त महानी घंटे अभिदान शब्द कल्पद्रुम शब्दार्थ कौस्तुभयम कौस्तुभ शब्द परिजातम शब्द चिंतामणि कोष शब्दकोश शब्द सागर शब्द रत्नाकर शब्द मुक्तावली शब्द मंजरी आदि जिसमें से आज तक सबसे प्रचलित नाम में कोष शब्दकोश शब्द सागर ही है अंग्रेजी में भी अनेकों नाम मिलते हैं जिनमें कुछ इस प्रकार से हैं लैक्सिकों डिक्शनरी आदि।
नियोजन
कोष निर्माण के नियोजन के लिए हमेशा ध्यान में रखने वाले कुछ मूलभूत तत्व होते हैं उनका संक्षिप्त विवरण नीचे दिया जा रहा है पहली बात जो ध्यान में रखनी चाहिए वह है कोष के प्रकार की कोषों के प्रकार के अनुसार कोष निर्माण की प्रविधि में भी अंतर होता है ।
दूसरा महत्वपूर्ण निर्णय भाषा के स्वरूप से संबंधित है कोशिकर को पहले यह निश्चित करना चाहिए कि वह भाषा के किस स्वरूप को करना चाहता है कोष के लिए सामग्री संकलन भाषा की प्रकृति और स्वरूप के अनुसार बदलते रहते हैं उदाहरण स्वरूप हिंदी का कोर्स बनाने से पहले यह निश्चय करना आवश्यक होगा कि इसके अंतर्गत बज अवधि आदि बलियो के शब्दों को लिया जाए या नहीं।
एक अन्य बात जो ध्यान में रखने की है वह यह भाषा की कल की क्या कोष में केवल समकालीन शब्दों का संकलन किया जाएगा या उसमें प्राचीन या मध्यकालीन साहित्य से भी शब्द लिए जाएंगे भाषा के सामाजिक और शैलीगत विलक विकल्पन पर भी कोशिकार की दृष्टि होनी आवश्यक है उसे यह निर्णय करना पड़ता है कि क्या वह कोष में सभी पैसों की प्रवृत्तियां आप भाषा अश्लील और ग्राम में प्रयोग का समावेश करना चाहेगा कोष कार्य के आरंभ होने के पहले ही इन विषयों पर निर्णय ले लेना चाहिए और इन पर अमल करना चाहिए।
सामग्री संकलन स्रोतों का विवरण कार्ड का बनाना और उनको भरना साथ में नमूने के काट दे देना चाहिए शब्द सूची का चयन कोष प्रविष्टि की संरचना शब्दों के अर्थ और वर्णन उनका कम नामांकन पदबंध उदाहरण लिपि उच्चारण व्याकरण कोटिया आदि इन सब के लिए उदाहरण देना आवश्यक होता है बाद में इसमें संशोधन संशक्तिकरण या विस्तार हो सकता है लेकिन उनके द्वारा प्रविष्टि संरचना के विषय में मार्गदर्शन मिलता रहता है यह प्रविष्टियां यथा संभव प्रत्येक व्याकरण एक कोटी की
प्रतिनिधि प्रविष्टियां होनी चाहिए यह भी ध्यान रखना चाहिए कि वह विशेष प्रतिनिधित्व करने वाली हों।
सामग्री संकलन
कोष की सामग्री का संकलन कोष के आधार पर आधारित होता है संकलन पद्धति लिखित और अलिखित भाषाओं के लिए भिन्न प्रकार की होती है जिन भाषाओं में लिखित साहित्य प्रचित प्रचुर मारता प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है उनके कोष के लिए अधिकांश सामग्री पुस्तकों से संकट की जाती है अलिखित भाषाओं के लिए सामग्री वाचक भाषा से सर्वेक्षण पद्धतियां क्षेत्र पद्धति के द्वारा संकलित की जाती है।
बड़े कोषों के लिए कार्ड पर सामग्री संकलन में अनेक वर्ष लगते हैं कार्ड पर एकत्रित की गई सूचना अनेक दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण और उपयोगी होती है कोष के मुद्रण की प्रति तैयार होते ही उसकी उपयोगिता समाप्त नहीं हो जाती इन कार्डों की सहायता से विभिन्न प्रकार के कोषों के निर्माण का कार्य किया जाता है निर्माण किया जा सकता है जैसे प्राय कोष पदबंध कोष मुहावरा कोश विपरीतार विपरीतार्थक कोष इसे बहुत ही सांस्कृतिक सूचनाओं भी उपलब्ध हो सकती हैं शब्दों के संदर्भ को कोशिकीय संदर्भ भी कहते हैं कोशिश संदर्भ शब्द विशेष की प्रकृति और प्रकार के अनुसार विभिन्न प्रकार का होता है इस प्रकार प्रत्येक शब्द को उसके अपने पूर्ण संदर्भ के साथ उदित किया जाता है उदाहरण दो प्रकार के होते हैं साधारण और विशिष्ट
प्रविष्टियों का चयन
किसी भी भाषा में शब्दों की संख्या असीमित होती है इसके अतिरिक्त प्रत्येक भाषा में नए शब्दों के निर्माण और शब्दों के नए प्रयोग की अपार क्षमता होती है भाषा सतत प्रवाह मां और उत्तरोत्तर विकास मां होती है प्राय रोज ही किसी नए शब्द का निर्माण या प्रयोग होता रहता है इसलिए कोई शब्दकोश चाहे वह कितना भी बड़ा क्यों ना हो यह दवा नहीं कर सकता कि उसमें भाषा के समस्त शब्दों का संकलन है या यह भी नहीं कहा जा सकता कि प्रत्येक शब्द के समस्त उपलब्ध या संभावित अर्थो अर्थ चट्टन और शहर प्रयोग को कोष में समाहित कर लिया गया है कोशिकर सब कुछ अपने कोर्स में नहीं दे सकता इसके लिए उसको प्रविष्टियों का चयन करना होता है।
समग्र कोर्स में यथासंभव सारे शब्दों को शामिल करने का यत्न किया जाता है अन्य कोस में प्रविष्टियों की सीमा बांधी जाती है प्रविष्टियों का चयन कई सारे तत्वों के द्वारा नियमित होता है उनमें से प्रमुख है कोष का आकार उसका प्रकार इसका उद्देश्य भाषा के स्थानीय सामाजिक और शैली परक अंतर इत्यादि।
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